50% US tariffs Best Is there a tariff from India to the USA?

50% US tariffs: हाल ही में अमेरिका ने भारत पर लगाए गए 25% टैरिफ को बढ़ाकर 50% कर दिया है। इस फैसले के बाद भारत में नौकरियों पर खतरा मंडराने लगा है और सरकार की आय पर भी नकारात्मक असर पड़ने की आशंका है। इस टैरिफ वृद्धि से भारतीय निर्यात, खासकर कपड़ा, चमड़ा, रसायन और खिलौना जैसे क्षेत्रों पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।

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50% US tariffs

भारतीय सामान अमेरिकी बाजार में 35% तक महंगे हो जाएंगे, जिससे अमेरिकी उपभोक्ताओं द्वारा इन सामानों की खरीदारी कम होने की संभावना है। इस स्थिति से निपटने के लिए भारत सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिनका उद्देश्य निर्यातकों और कामगारों को राहत प्रदान करना है। आइए, इन कदमों पर विस्तार से नजर डालते हैं।

टेक्सटाइल सेक्टर के लिए ड्यूटी-मुक्त कॉटन आयात

भारत सरकार ने कपड़ा उद्योग को राहत देने के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। अब टेक्सटाइल कारोबारी 31 दिसंबर 2025 तक बिना आयात शुल्क के कॉटन का आयात कर सकेंगे। इस छूट को पहले 19 अगस्त से 30 सितंबर तक के लिए बढ़ाया गया था, लेकिन अमेरिकी टैरिफ के बढ़ते दबाव को देखते हुए सरकार ने इसे पूरे साल के अंत तक बढ़ाने का निर्णय लिया है।

इस कदम से कपड़ा उद्योग को 11% तक की छूट मिलेगी, जिसमें 5% बेसिक कस्टम ड्यूटी (BCD), 5% एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट सेस (AIDC), और 1% सोशल वेलफेयर सरचार्ज शामिल हैं। वित्त मंत्रालय ने इस संबंध में एक आधिकारिक अधिसूचना भी जारी की है। यह निर्णय कपड़ा उद्योग को अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव से बचाने में मददगार साबित होगा।

चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री की अपील

चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (CTI) ने अमेरिकी टैरिफ वृद्धि के जवाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में CTI ने अमेरिका पर जवाबी टैरिफ लगाने की मांग की है, ताकि भारतीय सामानों की प्रतिस्पर्धात्मकता बनी रहे। CTI का कहना है कि अमेरिकी टैरिफ के कारण भारतीय सामान महंगे होने से उनकी मांग में कमी आएगी, जिसका सीधा असर भारतीय निर्यातकों और रोजगार पर पड़ेगा।

वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट

वित्त मंत्रालय ने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें कहा गया है कि अमेरिकी टैरिफ का भारत पर सीमित प्रभाव पड़ेगा। हालांकि, इस चुनौती से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। सरकार ने इसके लिए एक व्यापक योजना तैयार की है, जिसमें निर्यातकों और कामगारों के लिए राहत पैकेज शामिल है।

निर्यातकों और कामगारों के लिए राहत पैकेज

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हाल ही में हुई एक उच्च-स्तरीय बैठक में निर्यातकों और कामगारों के लिए छह महीने का राहत पैकेज तैयार करने पर सहमति बनी है। इस पैकेज के तहत कपड़ा, चमड़ा, रसायन और खिलौना जैसे क्षेत्रों को आपातकालीन ऋण उपलब्ध कराया जाएगा। इसके अलावा, नए बाजारों की उपलब्धता सुनिश्चित होने तक निर्यातकों को सुरक्षा और राहत प्रदान करने की योजना भी इसी सप्ताह घोषित हो सकती है। यह कदम नौकरियों को बचाने और निर्यात को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

वैश्विक बाजारों में कपड़ा निर्यात को बढ़ावा

अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को कम करने के लिए भारत सरकार ने वैश्विक स्तर पर कपड़ा निर्यात को बढ़ावा देने की योजना बनाई है। इसके तहत जर्मनी, फ्रांस, इटली, स्पेन, नीदरलैंड, पोलैंड, कनाडा, मेक्सिको, रूस, बेल्जियम, तुर्की, संयुक्त अरब अमीरात और ऑस्ट्रेलिया जैसे 40 देशों में विशेष अभियान चलाया जाएगा। इन देशों में भारतीय कपड़ा और अन्य उत्पादों की पहुंच बढ़ाने के लिए सरकार सक्रिय रूप से काम करेगी। यह कदम अमेरिकी बाजार पर निर्भरता को कम करने और नए बाजारों में अवसर तलाशने में मदद करेगा।

निष्कर्ष 50% US tariffs

अमेरिका द्वारा 50% टैरिफ लागू करने से भारत के निर्यात और रोजगार पर संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है। हालांकि, भारत सरकार ने इस चुनौती से निपटने के लिए कई प्रभावी कदम उठाए हैं। ड्यूटी-मुक्त कॉटन आयात, राहत पैकेज, और वैश्विक बाजारों में निर्यात बढ़ाने की योजनाएं इस दिशा में सकारात्मक प्रयास हैं। उम्मीद है कि इन फैसलों से भारतीय निर्यातकों और कामगारों को राहत मिलेगी और देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।

सरकार की ओर से भविष्य में उठाए जाने वाले कदमों पर भी नजर रखने की जरूरत है, ताकि इस स्थिति से निपटने में और बेहतर रणनीति बनाई जा सके।

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