India UK Vision 2035: भारत और ब्रिटेन के प्रधानमंत्रियों ने 24 जुलाई, 2025 को लंदन में द्विपक्षीय बैठक के दौरान नए “भारत-ब्रिटेन विजन 2035” को साझा स्वीकृति प्रदान कर दी है, जो पुनर्जीवित साझेदारी की पूर्ण क्षमता को प्राप्त करने के लिए उनकी साझा प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है। यह महत्वाकांक्षी एवं भविष्य-केंद्रित समझौता, तेजी से बदलते वैश्विक दौर में आपसी विकास, समृद्धि और एक समृद्ध, सुरक्षित व सतत विश्व को आकार देने के लिए दोनों देशों के साथ मिलकर काम करने के संकल्प को रेखांकित करता है।

विस्तारित महत्वाकांक्षा: भारत और ब्रिटेन ने संबंधों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी के स्तर तक बढ़ाने के बाद से सभी क्षेत्रों में महत्वपूर्ण साझेदारियों तथा विकास को गति दी है। नया दृष्टिकोण इसी सहभागिता को आगे बढ़ाता है और द्विपक्षीय सहयोग को विस्तार देने तथा विविधतापूर्ण बनाने के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करता है।
रणनीतिक दृष्टिकोण: भारत-ब्रिटेन के बीच प्रमुख साझेदारियां वर्ष 2035 तक दोनों देशों के संबंधों को पुनर्परिभाषित करेंगी और दोनों पक्षों के लिए परिवर्तनकारी अवसर तथा विशेष लाभ प्रदान करेंगी। भारत-ब्रिटेन विजन 2035 स्पष्ट रणनीतिक लक्ष्य लेकर चलेगा और यह मील के पत्थर स्थापित करता है, जिससे भविष्य में निरंतर सहयोग व नवाचार के लिए मार्ग प्रशस्त होता है।
व्यापक परिणाम: भारत-ब्रिटेन विजन 2035 के स्तंभों को एक-दूसरे को सुदृढ़ करने के लिए डिजाइन किया गया है, जिससे एक ऐसी संयुक्त साझेदारी का निर्माण होगा जो परिणामों की एक विस्तृत और गहन श्रृंखला में अपनी हिस्सेदारी के योग से भी अधिक बड़ी होगी, इसमें शामिल हैं:
• ब्रिटेन और भारत में विकास तथा नौकरियां एक महत्वाकांक्षी व्यापार समझौते पर आधारित हैं, जो दोनों देशों के लिए बाजार व अवसरों को खोलेगा।
• वैश्विक प्रतिभा की अगली पीढ़ी को पोषित करने के लिए शिक्षा और कौशल साझेदारी, ब्रिटेन तथा भारतीय विश्वविद्यालयों के बीच अंतरराष्ट्रीय शिक्षा सहयोग को आगे ले जाना, जिसमें एक-दूसरे के देशों में अग्रणी विश्वविद्यालयों के परिसरों की स्थापना भी शामिल है।
• प्रौद्योगिकी सुरक्षा पहल पर आधारित अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी एवं अनुसंधान का विकास करना, जो भविष्य के दूरसंचार, एआई व महत्वपूर्ण खनिजों पर केंद्रित हो और अर्धचालक, क्वांटम, जैव-प्रौद्योगिकी तथा उन्नत सामग्रियों पर भविष्य के सहयोग के लिए आधार तैयार करे।
• एक परिवर्तनकारी जलवायु साझेदारी, स्वच्छ ऊर्जा में तेजी लाने, बड़े पैमाने पर जलवायु वित्त जुटाने और लचीलेपन को बढ़ने पर केंद्रित है।
• रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग बढ़ाना, जिसमें हिंद-प्रशांत और उसके बाहर शांति, सुरक्षा व समृद्धि के लिए साझा प्रतिबद्धता शामिल है।
भारत-ब्रिटेन विजन 2035 निरंतर उच्च-स्तरीय राजनीतिक सहभागिता पर आधारित होगा। दोनों देश रणनीतिक दिशा देने और निगरानी व्यवस्था प्रदान करने के लिए दोनों प्रधानमंत्रियों की नियमित बैठकों के प्रति अपनी वचनबद्धता की पुष्टि करते हैं। भारत-ब्रिटेन विजन 2035 के कार्यान्वयन की समीक्षा भारत के विदेश मंत्री और ब्रिटेन के विदेश मंत्री द्वारा वार्षिक रूप से की जाएगी। विषय केंद्रित मंत्रिस्तरीय तंत्र प्रौद्योगिकी, व्यापार, निवेश और वित्तीय क्षेत्र में सहयोग सहित विभिन्न क्षेत्रों के मुद्दों पर विचार-विमर्श करेंगे। इस तरह के सहयोग यह सुनिश्चित करेंगे कि साझेदारी गतिशील, उत्तरदायी और साझा रणनीतिक हितों के अनुरूप बनी रहे।
भारत और ब्रिटेन नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था एवं सार्थक सुधार के माध्यम से बहुपक्षवाद को मजबूत करने के लिए अपनी साझा प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं। दोनों देश सुरक्षा परिषद सहित संयुक्त राष्ट्र व राष्ट्रमंडल, विश्व व्यापार संगठन, विश्व स्वास्थ्य संगठन, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा विश्व बैंक जैसी बहुपक्षीय संस्थाओं में सुधार को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करेंगे, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि ये संस्थाएं समकालीन वैश्विक वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करें और उभरती चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हों।
लोगों के बीच आपसी संपर्क ब्रिटेन-भारत संबंधों के हर पहलू का आधार है। दोनों देश अपने नागरिकों और प्रवासी समुदायों की आवश्यकताओं को बेहतर ढंग से पूरा करने के लिए शिक्षा, सांस्कृतिक आदान-प्रदान तथा वाणिज्य दूतावास संबंधी मामलों में सहयोग बढ़ाएंगे।
भारत और ब्रिटेन विजन 2035 के विभिन्न स्तंभों के अंतर्गत समयबद्ध कार्रवाई के साथ अपने द्विपक्षीय सहयोग को गहन व विविधतापूर्ण बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। दोनों देशों को व्यापार, अनुसंधान, नवाचार, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और ज्ञान पर आधारित भविष्य के लिए एक तीव्र साझेदारी के लिए तैयारी कर रहे हैं।
विकास
पिछले एक दशक में भारत-ब्रिटेन द्विपक्षीय व्यापार में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है। भारत-ब्रिटेन व्यापक आर्थिक एवं व्यापार समझौते (सीईटीए) पर हस्ताक्षर और दोहरे योगदान समझौते पर बातचीत का समझौता द्विपक्षीय संबंधों में एक मील का पत्थर है। यह व्यापार समझौता दोनों देशों में आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा, जिससे रोजगार और समृद्धि की बढ़ोतरी होगी। दोनों पक्ष द्विपक्षीय निवेश संधि (बीआईटी) को शीघ्र संपन्न करने की दिशा में काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। मुक्त व्यापार समझौता, विकास के लिए संयुक्त महत्वाकांक्षी साझेदारी की शुरुआत मात्र है। ब्रिटेन व भारत दोनों देशों के लिए सतत दीर्घकालिक विकास और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने हेतु की जा रही पहल को आगे ले जाने पर सहमत हुए हैं। दोनों पक्ष नवीकरणीय ऊर्जा, स्वास्थ्य एवं जीवन विज्ञान, महत्वपूर्ण व उभरती प्रौद्योगिकियों, पेशेवर और व्यावसायिक सेवाओं, वित्तीय सुविधाओं, रचनात्मक उद्योगों तथा रक्षा जैसे प्राथमिकता वाले विकास क्षेत्रों में नवाचार, अनुसंधान और नियामक सहयोग में एक-दूसरे की सहायता करेंगे। दोनों पक्ष निम्नलिखित के लिए मिलकर कार्य करेंगे:
1. भारत-ब्रिटेन व्यापक आर्थिक एवं व्यापार समझौते (सीईटीए) के बाद दोनों देशों के बीच वस्तुओं व सेवाओं के क्षेत्र में द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाना जारी रखना और सभी दिशाओं में अधिक महत्वाकांक्षी प्रवाह का लक्ष्य रखना।
2. एक नई संयुक्त आर्थिक और व्यापार समिति (जेईटीसीओ) के माध्यम से व्यापार व निवेश पर ब्रिटेन-भारत संबंधों को आगे बढ़ाया जाएगा, जो भारत-ब्रिटेन व्यापक आर्थिक व्यापार समझौते (सीईटीए) के कार्यान्वयन को भी सुनिश्चित करेगा। आर्थिक एवं वित्तीय संवाद (ईएफडी) और सुदृढ़ वित्तीय बाजार संवाद (एफएमडी) व्यापक आर्थिक नीति, वित्तीय विनियमन तथा निवेश पर सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए प्रमुख मंच के रूप में कार्य करते रहेंगे। ये सहयोग भारत और ब्रिटेन के बीच एक अधिक लचीली, समावेशी तथा विकासोन्मुखी आर्थिक साझेदारी को बढ़ावा देने में सहायक होंगे।
3. व्यापारिक व्यक्तियों को नियमित आधार पर मिलने के लिए मंच और अवसर प्रदान करके ब्रिटेन तथा भारतीय व्यापार समुदाय के बीच मजबूत साझेदारी का निर्माण करना।
4. भारत एवं ब्रिटेन के बीच पूंजी बाजार संपर्क बढ़ाना और बीमा, पेंशन तथा परिसंपत्ति प्रबंधन क्षेत्रों में सहयोग को विस्तार देना।
5. वित्तीय सेवाओं, हरित वित्त और परिसंपत्ति प्रबंधन तथा निवेश में नवाचार एवं कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) जैसे सहयोग के नए क्षेत्रों को शामिल करके भारत-ब्रिटेन वित्तीय साझेदारी (आईयूकेएफपी) के निरंतर कार्य को आगे बढ़ाना। इसके अलावा, चयनित क्षेत्रों में द्विपक्षीय व्यापार प्रवाह को बढ़ाने और भारत में बुनियादी ढांचे में निवेश को आगे ले जाने के लिए ब्रिटेन-भारत अवसंरचना वित्तपोषण ब्रिज (यूकेआईआईएफबी) का निर्माण किया जाएगा।
6. पारस्परिक रूप से पहचाने गए क्षेत्रों में आपूर्ति श्रृंखला लचीलेपन पर नियमित संवाद तंत्र के माध्यम से प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों में सुरक्षित आर्थिक विकास को बढ़ावा देना।
7. स्थापित की गई ब्रिटेन-भारत विधिक व्यवसाय समिति के माध्यम से घनिष्ठ द्विपक्षीय सहयोग हेतु प्रतिबद्धता की पुष्टि करके भारतीय और ब्रिटेन विधिक व्यवसायों के बीच संबंधों को गहरा करना।
8. ब्रिटेन और भारत के बीच संपर्क में सुधार, दोनों देशों के बीच हवाई यात्रा एवं मार्गों का विस्तार, ब्रिटेन-भारत हवाई सेवा समझौते को नवीनीकृत करने की दिशा में काम करना तथा परिवहन बुनियादी ढांचे पर सहयोग बढ़ाना।
9. अंतर्राष्ट्रीय अवैध वित्त के प्रवाह को रोकने और अंतर्राष्ट्रीय कर सहयोग तथा कर पारदर्शिता मानकों को व्यवस्थित करने के लिए बहुपक्षीय मंचों एवं सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों में कार्य करने की स्थिति का उपयोग करके एक लचीली वैश्विक आर्थिक व वित्तीय प्रणाली की रक्षा करना और उसे आगे ले जाना। दोनों पक्ष विश्व व्यापार संगठन को केंद्र में रखते हुए नियम-आधारित, भेदभाव रहित, निष्पक्ष, खुले, समावेशी, समतामूलक और पारदर्शी बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली को बेहतर करने की पुष्टि करते हैं। दोनों पक्ष विकासशील सदस्यों व अल्प विकसित देशों (एलडीसी) के लिए विशेष और विभेदक व्यवहार संबंधी विश्व व्यापार संगठन के प्रावधानों को विश्व व्यापार संगठन तथा उसके समझौतों का एक अभिन्न अंग मानते हैं।
10. ब्रिटेन के विकास वित्त संस्थान, ब्रिटिश अंतर्राष्ट्रीय निवेश (बीआईआई) और ब्रिटेन-भारत विकास पूंजी निवेश साझेदारी के माध्यम से निवेश के माध्यम से समावेशी विकास को उत्प्रेरित करना, जिससे हरित विकास जैसे पारस्परिक हित के बाजार व क्षेत्र निर्मित किए जा सकें और ब्रिटेन-भारत निवेश गलियारे को बढ़ावा दिया जा सके। दोनों सरकारों ने द्विपक्षीय निवेश साझेदारी की सामर्थ्य को स्वीकार किया है और हरित उद्यमों, जलवायु शमन, तकनीकी स्टार्ट-अप तथा जलवायु अनुकूलन में नए निवेश को जुटाने के लिए काम करेंगे।
11. ब्रिटेन और भारत त्रिपक्षीय विकास सहयोग पर मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिसमें टिकाऊ, जलवायु स्मार्ट नवाचार व डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना तथा डिजिटल गवर्नेंस जैसी सफलता की गाथाएं शामिल हैं।
12. सहयोगात्मक अनुसंधान, उच्च स्तरीय द्विपक्षीय सहभागिता, क्षमता निर्माण, अग्रणी संस्थानों के बीच सहयोग व भारत-ब्रिटेन ‘क्रिएटिव इकोनॉमी वीक’ श्रृंखला जैसे समावेशी मंचों के माध्यम से रचनात्मक एवं सांस्कृतिक उद्योगों में पारस्परिक विकास को बढ़ावा देना। नवाचार, उद्यमशीलता और सांस्कृतिक वस्तुओं एवं सेवाओं हेतु निवेश में वृद्धि के माध्यम से आर्थिक विकास तथा अवसरों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से संस्कृति सहयोग समझौते के कार्यक्रम को लागू करना।
प्रौद्योगिकी और नवाचार
यह रणनीतिक साझेदारी नवाचार-आधारित विकास को गति देगी और भविष्य की तकनीकों को आकार देने में दोनों देशों की भूमिका को सशक्त करेगी। ब्रिटेन और भारत एक सुरक्षित, टिकाऊ तथा समृद्ध भविष्य तैयार करने के लिए प्रौद्योगिकी, विज्ञान, अनुसंधान एवं नवाचार की शक्ति का उपयोग करेंगे। दोनों पक्ष ब्रिटेन-भारत प्रौद्योगिकी सुरक्षा पहल, विज्ञान एवं नवाचार परिषद और स्वास्थ्य तथा जीवन विज्ञान साझेदारी के आधार पर कार्य करेंगे। दोनों देश महत्वपूर्ण व उभरती प्रौद्योगिकियों, स्वास्थ्य एवं स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग को और गहरा करेंगे, जिससे राष्ट्रीय लचीलापन बढ़ेगा, व्यापार तथा निवेश में वृद्धि होगी। इन प्रयासों से उच्च मूल्य व गुणवत्ता वाली नौकरियां पैदा होंगी। दोनों पक्ष इस सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए निम्न कार्य करेंगे:
1. ब्रिटेन-भारत अनुसंधान एवं नवाचार गलियारे का उपयोग करके अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देना। दोनों देशों के इकोसिस्टम को एकीकृत करके और लोगों व कार्यक्रमों जैसे कि कैटापल्ट, नवाचार केंद्र, स्टार्ट-अप, इनक्यूबेटर, अनुसंधान एवं नवाचार सुपरग्रुप तथा त्वरक कार्यक्रमों के बीच साझेदारी बढ़ाना। इसके अलावा अनुसंधान और नवाचार उत्पादकता को गति देने के प्रयासों को एकजुट करना।
2. वैश्विक एआई क्रांति के लाभों का लाभ उठाया जाएगा और ब्रिटेन-भारत संयुक्त एआई केंद्र के माध्यम से आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा, जो विश्वसनीय वास्तविक दुनिया के एआई नवाचारों तथा व्यापक रूप से अपनाने को बढ़ावा देगा। ऐसे ओपन सोर्स समाधान बनाने के लिए सहयोग करें, जिनका लाभ ब्रिटेन और भारत के व्यवसाय प्रभावशाली एआई समाधान बनाने तथा उनका विस्तार करने हेतु उठा सकें।
3. संयुक्त अनुसंधान, विकास एवं नवाचार के माध्यम से अगली पीढ़ी के सुरक्षित डिजाइन वाले दूरसंचार को आगे बढ़ाना, उन्नत कनेक्टिविटी और साइबर लचीलेपन पर रणनीतिक सहयोग करना। दोनों देशों में डिजिटल समावेशन को विस्तार देने और कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए एक भारत-ब्रिटेन कनेक्टिविटी इनोवेशन सेंटर की स्थापना करें। 6जी के लिए आईटीयू और 3जीपीपी जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर मिलकर काम करें।
4. चौथी औद्योगिक क्रांति को गति देने के लिए लचीली व टिकाऊ महत्वपूर्ण खनिज आपूर्ति श्रृंखलाएं सुनिश्चित करें। वित्तपोषण मानकों और नवाचार में बदलाव लाने के लिए महत्वपूर्ण खनिजों पर एक ब्रिटेन-भारत संयुक्त उद्योग गिल्ड की स्थापना करें। दोनों पक्ष मिलकर प्रसंस्करण, अनुसंधान एवं विकास, पुनर्चक्रण, आपूर्ति श्रृंखलाओं हेतु जोखिम प्रबंधन व बाजार विकास को प्राथमिकता देंगे और वृत्तीय अर्थव्यवस्था के सिद्धांतों को बढ़ावा देंगे तथा आगे की गतिविधियों का पता लगाने की क्षमता को आगे बढ़ाएंगे।
5. जैव-विनिर्माण, जैव-आधारित सामग्रियों और उन्नत जैव-विज्ञान की क्षमता को इस्तेमाल करने तथा स्वास्थ्य, स्वच्छ ऊर्जा व टिकाऊ कृषि में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए ब्रिटेन-भारत जैव-प्रौद्योगिकी साझेदारी का उपयोग करना। वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटना तथा बायोफाउंड्री, बायोमैन्युफैक्चरिंग, बायोप्रिंटिंग, फेमटेक और कोशिका एवं जीन थेरेपी सहित अत्याधुनिक नवाचार के अनुप्रयोग द्वारा स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करना।
6. अर्धचालक, क्वांटम, उन्नत सामग्री और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में टीएसआई के माध्यम से नवाचार-आधारित विकास को बढ़ावा देना।
7. अंतरिक्ष अनुसंधान एवं नवाचार तथा वाणिज्यिक अवसरों में सहयोग की संभावना तलाशने के लिए अपने-अपने अंतरिक्ष समुदायों को एक साथ लाना।
8. भविष्य की महामारियों को रोकने और लचीली चिकित्सा आपूर्ति श्रृंखलाओं की सुरक्षा के लिए वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा में ब्रिटेन-भारत नेतृत्व को मजबूत करना। स्वास्थ्य एवं जीवन विज्ञान संयुक्त कार्य समूह महामारी की तैयारी, डिजिटल स्वास्थ्य, वन हेल्थ व रोगाणुरोधी प्रतिरोध पर संयुक्त कार्रवाई को आगे ले जाया जाए और उभरते खतरों से निपटने के लिए सहयोग बढ़ाया जाए। दोनों पक्ष मिलकर मजबूत एवं चुस्त आपूर्ति श्रृंखलाओं का निर्माण करेंगे और टीकों, चिकित्सा व चिकित्सा प्रौद्योगिकियों के तेजी से विकास, उत्पादन तथा तैनाती को सक्षम करने, जीवन की रक्षा करने व वैश्विक लचीलापन को मजबूत करने के लिए नियामक ढांचे के बीच अधिक सहयोग की दिशा में काम करेंगे।
9. साझा समृद्धि, आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन और सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए ब्रिटेन व भारत के बीच रणनीतिक व्यापार एवं आर्थिक सहयोग को आगे बढ़ाना। लाइसेंसिंग और निर्यात नियंत्रण संबंधी मुद्दों को सुलझाने, रक्षा, सुरक्षा तथा एयरोस्पेस क्षेत्रों सहित महत्वपूर्ण, उभरती व अन्य उच्च-स्तरीय प्रौद्योगिकियों में उच्च-मूल्य वाले व्यापार को खोलने एवं सक्षम बनाने के लिए नियमित रणनीतिक निर्यात और प्रौद्योगिकी सहयोग वार्ता आयोजित करना।
रक्षा और सुरक्षा
भारत-ब्रिटेन रक्षा साझेदारी के सुदृढ़ होने से अंतर्राष्ट्रीय वातावरण पहले से अधिक सुरक्षित होगा और राष्ट्रीय सुरक्षा मजबूत होगी। भारत और ब्रिटेन के रक्षा उद्योग की पूरक शक्तियां सहयोग के उत्कृष्ट अवसर प्रदान करती हैं। दोनों पक्ष सशस्त्र बलों के साथ संबंधों को बढ़ाने व रक्षा क्षमता सहयोग को आगे बढ़ाने पर सहमत हुए हैं, जो निम्नलिखित हैं:
1. 10 वर्षीय रक्षा औद्योगिक रोडमैप को अपनाने तथा इसके कार्यान्वयन और प्रगति की निगरानी के लिए वरिष्ठ अधिकारी स्तर पर एक संयुक्त तंत्र के माध्यम से सामरिक व रक्षा उद्योग सहयोग को बढ़ावा देना।
2. इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन कैपेबिलिटी पार्टनरशिप (ईपीसीपी) और जेट इंजन एडवांस्ड कोर टेक्नोलॉजीज (जेईएसीटी) जैसे सहयोग कार्यक्रमों के माध्यम से उन्नत प्रौद्योगिकियों व जटिल हथियारों में सहयोग को गहरा करना, नवाचार तथा सह-विकास का सहयोग देना।
3. मौजूदा विदेश और रक्षा 2+2 वरिष्ठ अधिकारी स्तर की वार्ता को अगले उच्च स्तर तक उन्नत करके रणनीतिक एवं परिचालन रक्षा मामलों पर समन्वय को बेहतर करना।
4. गैर-पारंपरिक समुद्री सुरक्षा खतरों पर हिंद महासागर में क्षमता और लचीलापन बढ़ाने के लिए क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा उत्कृष्टता केंद्र (आरएमएससीई) की स्थापना के माध्यम से हिंद-प्रशांत महासागर पहल (आईपीओआई) के तहत सहयोग करना।
5. तीनों सेनाओं में सैन्य संयुक्त अभ्यास जारी रखकर और प्रशिक्षण के अवसरों का विस्तार करके आपसी सहभागिता व तत्परता को बढ़ावा दें। एक-दूसरे के प्रशिक्षण संस्थानों में सैन्य प्रशिक्षकों की नियुक्ति करें। हिंद महासागर क्षेत्र में ब्रिटिश सशस्त्र बलों की उपस्थिति को रसद सहायता प्रदान करने के लिए भारत को एक क्षेत्रीय केंद्र के रूप में पुनः स्थापित करें।
6. जलगत प्रणालियों व प्रत्यक्ष ऊर्जा हथियारों सहित नई क्षमताओं के उद्गम पर अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देना; और शिक्षा जगत के साथ संबंध विकसित करना।
7. आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की निंदा करें। संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार, व्यापक एवं निरंतर तरीके से आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करें। कट्टरपंथ व हिंसक उग्रवाद का सामना करना; आतंकवाद के वित्तपोषण और आतंकवादियों की सीमा पार आवाजाही का मुकाबला करना; आतंकवादी उद्देश्यों के लिए नई तथा उभरती प्रौद्योगिकियों के दोहन को रोकना; आतंकवादी भर्ती से निपटना; सूचना साझाकरण, न्यायिक सहयोग, क्षमता निर्माण सहित इन क्षेत्रों में द्विपक्षीय व बहुपक्षीय सहयोग को मजबूत करना। विश्व स्तर पर प्रतिबंधित आतंकवादियों, आतंकी संगठनों और उनके प्रायोजकों के विरुद्ध निर्णायक तथा ठोस कार्रवाई करने के लिए सहयोग बढ़ाना।
8. आपराधिक खतरों की साझा समझ, न्याय और कानून प्रवर्तन में सहयोग व अपराधियों को रोकने तथा कानून के शासन को बनाए रखने के लिए सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों को साझा करके आतंकवाद, साइबर अपराध तथा अवैध वित्तीय प्रवाह सहित अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध से नागरिकों की रक्षा करना।
9. साइबर सुरक्षा खतरों से निपटने तथा नागरिकों एवं प्रमुख सेवाओं की सुरक्षा के लिए हमारी आपसी समझ को बढ़ाकर और सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों को साझा करके साइबर लचीलापन बढ़ाना। साइबर सुरक्षा कंपनियों के लिए सहायता एवं अवसरों के माध्यम से विकास को बढ़ावा देना; साइबर व डिजिटल शासन पर सहयोग; और उभरती प्रौद्योगिकियों के सुरक्षित विकास पर टीएसआई के तहत साझेदारी।
10. सुरक्षा और अनियमित प्रवासन पर अंकुश लगाने में सहयोग की पुष्टि करना, जिसमें प्रवासन व गतिशीलता साझेदारी को पूर्ण रूप से क्रियान्वित करना भी शामिल है। भारत और ब्रिटेन का लक्ष्य आपराधिक संगठनों द्वारा शोषण को रोकना तथा ब्रिटेन-भारत के बीच के संबंध को सुरक्षित रखना है, जो दोनों देशों के लोगों के बीच स्थायी संबंधों को दर्शाता है।
जलवायु और स्वच्छ ऊर्जा
जलवायु कार्रवाई पर साझेदारी सतत, लचीले विकास और धरती की सुरक्षा के लिए साझा प्रतिबद्धता का प्रतीक है। जलवायु परिवर्तन कार्रवाई पर सहयोग भारत और ब्रिटेन के अपने-अपने महत्वाकांक्षी नेट-जीरो लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करेगा, जिससे वैश्विक जलवायु एजेंडे पर आगे की कार्रवाई होगी। यह हरित वस्तुओं एवं सेवाओं में व्यापार तथा निवेश को विस्तार देगा और हरित विनिर्माण को बढ़ावा देगा। स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु पर साझेदारी से होगा:
1. भारत में जलवायु कार्रवाई के लिए समय पर, पर्याप्त और किफायती वित्त जुटाना। दोनों देश विकासशील देशों द्वारा जलवायु कार्रवाई के लिए किफायत के साथ धन जुटाने हेतु बेहतर, बड़े और अधिक प्रभावी एमडीबी की दिशा में वैश्विक वित्तीय प्रणालियों में सुधार के उद्देश्य से सहयोग करेंगे।
2. महत्वाकांक्षी ऊर्जा सुरक्षा एवं स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों को आगे बढ़ाना, जिसमें ऊर्जा भंडारण व ग्रिड परिवर्तन पर सहयोग शामिल है; ब्रिटेन के गैस और बिजली बाजार कार्यालय (ओएफजीईएम) तथा भारत के केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग (सीईआरसी) के बीच एक कार्यबल के लिए काम करना; भारत-ब्रिटेन अपतटीय पवन कार्यबल का गठन; उद्योग जगत हेतु निम्न कार्बन मार्गों को आगे बढ़ाने के लक्ष्य के साथ कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग योजना (सीसीटीएस) का विकास; परमाणु सुरक्षा एवं अपशिष्ट तथा डीकमीशनिंग पर असैन्य परमाणु सहयोग को आगे बढ़ाना, जिसमें एक उन्नत भारत-ब्रिटेन परमाणु सहयोग समझौते के तहत छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों जैसी अगली पीढ़ी की परमाणु प्रौद्योगिकियों पर सहभागिता शामिल है। संपूर्ण रूप से, ब्रिटेन-भारत ऊर्जा सहयोग निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों में अवसरों का लाभ उठाएगा तथा मजबूत आपूर्ति श्रृंखलाओं के निर्माण में सहायता करेगा।
3. स्वच्छ परिवहन, ऊर्जा एवं जीवन विज्ञान के क्षेत्र में सहयोग को गहरा करके हरित विकास और एक टिकाऊ व समृद्ध भविष्य के लिए स्केलेबल नवाचारों में तेजी लाना, साथ ही एआई, नवीकरणीय ऊर्जा, हाइड्रोजन, ऊर्जा भंडारण, बैटरी तथा कार्बन कैप्चर पर संयुक्त गतिविधियों को आगे बढ़ाना। जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए गहन तकनीकी समाधान विकसित करने और विकास हेतु नए बाजार बनाने के लिए प्रमुख नेट जीरो इनोवेशन पार्टनरशिप के माध्यम से उद्यमियों को संयुक्त रूप से सहायता देना।
4. जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशीलता को कम करने व अनुकूलन योजना को सशक्त बनाकर, वित्त जुटाकर, प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देकर तथा आपदा तैयारी को बढ़ाकर लचीले विकास को बढ़ाने के लिए सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों का आदान-प्रदान और सहयोग करना।
5. भारत-ब्रिटेन वन साझेदारी के अंतर्गत कृषि वानिकी और वन उत्पादों की ट्रेसेबिलिटी पर सहयोग के माध्यम से प्रकृति एवं टिकाऊ भूमि उपयोग को बहाल करने में सहयोग करना।
6. अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, गठबंधन आपदा रोधी अवसंरचना, एक सूर्य एक विश्व एक ग्रिड (ओएसओडब्ल्यूओजी), सड़क परिवहन में महत्वपूर्ण खोज, शून्य उत्सर्जन वाहन संक्रमण परिषद (जेडईवीटीसी) पर गहन सहयोग के माध्यम से जलवायु एवं ऊर्जा पारेषण पर सहयोग बढ़ाना। ग्लोबल क्लीन पावर अलायंस (जीसीपीए) के माध्यम से मिलकर काम करने की संभावनाओं का पता लगाना।
शिक्षा
ब्रिटेन व भारत की शिक्षा प्रणालियां और दोनों देशों के लोगों एवं संस्कृतियों के बीच समृद्ध आदान-प्रदान दोनों पक्षों के सहयोग के अन्य सभी क्षेत्रों का आधार हैं। भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और मई 2025 में हस्ताक्षरित सांस्कृतिक सहयोग कार्यक्रम के तहत ब्रिटेन पारस्परिक विकास तथा विस्तार प्रदान करने में भारत के पसंदीदा भागीदार देशों में से एक है। लोगों के बीच आपसी संबंध भारत-ब्रिटेन साझेदारी का स्वर्णिम सूत्र हैं। सशक्त नींव पर निर्मित भारत तथा ब्रिटेन के बीच बौद्धिक साझेदारी, उभरते अवसरों के प्रति संवेदनशील होगी और यह प्रौद्योगिकी की तीव्र प्रगति के अनुकूल होकर शिक्षा एवं अनुसंधान के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देगी। इससे एक कुशल एवं दूरदर्शी प्रतिभा समूह का निर्माण होगा, जो वैश्विक चुनौतियों का सामना करने और सभी के लिए एक सुरक्षित व टिकाऊ भविष्य में योगदान देने के लिए तैयार होगा। दोनों पक्ष करेंगे:
1. वार्षिक मंत्रिस्तरीय भारत-ब्रिटेन शिक्षा वार्ता के माध्यम से शैक्षिक संबंधों के लिए रणनीतिक दिशा निर्धारित करना, जो सहयोग के नए क्षेत्रों को बढ़ावा देगा और हमारी शैक्षणिक साझेदारी को गहरा करेगा। दोनों पक्ष पारस्परिक रूप से मान्यता प्राप्त योग्यताओं की समीक्षा करने तथा ब्रिटेन में एजुकेशन वर्ल्ड फोरम और भारत में राष्ट्रीय शिक्षा नीति मंच जैसे कार्यक्रमों में भाग लेने के माध्यम से ज्ञान साझा करने के लिए मिलकर काम करेंगे।
2. भारत में अग्रणी ब्रिटिश विश्वविद्यालयों और संस्थानों के अंतर्राष्ट्रीय शाखा परिसरों को खोलने तथा महत्वपूर्ण विषय क्षेत्रों में संयुक्त व दोहरी डिग्री पाठ्यक्रम प्रदान करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा साझेदारी को प्रोत्साहित करना, जिससे दोनों देशों की भविष्य की अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ावा मिलेगा।
3. भारत-ब्रिटेन हरित कौशल साझेदारी के माध्यम से युवाओं में निवेश करना तथा उन्हें भविष्य के लिए कौशल प्रदान करना, जिससे भारत व ब्रिटेन की विशेषज्ञता एक साथ आएगी, दोनों देशों में कौशल अंतराल की पहचान होगी और उसे पाटा जाएगा, ऐसी संयुक्त गतिविधियां शुरू की जाएंगी, जो पारस्परिक रूप से लाभकारी व टिकाऊ हों, विकास के अवसर पैदा होंगे तथा पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव डालेंगे। योग्यताओं की पारस्परिक मान्यता पर मौजूदा भारत-ब्रिटेन समझौता ज्ञापन को लागू करना जारी रखा जाएगा।
4. युवाओं एवं विद्यार्थियों के बीच आदान-प्रदान और समझ को प्रोत्साहित करना, युवा पेशेवर योजना व स्टडी इंडिया कार्यक्रम जैसी मौजूदा योजनाओं की सफलता को बढ़ावा देने तथा अधिकतम करने के लिए सभी क्षेत्रों में साझेदारी में कार्य करना।