AI Therapist: आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस अब रोज़मर्रा की ज़िंदगी के लगभग हर पहलू में दाख़िल हो चुका है। आज कई लोग अपने दिन की शुरुआत AI चैटबॉट से करते हैं—दैनिक राशिफल जानने से लेकर यह पूछने तक कि उनका दिन कैसा गुज़रेगा। यहाँ तक कि ज्योतिष और भविष्यवाणी के लिए भी लोग एआई (AI) का सहारा ले रहे हैं। कई यूज़र्स तो अपना अकेलापन, डिप्रेशन और तनाव जैसी बातें भी इन चैटबॉट्स के साथ शेयर करते हैं। ऐसे में यह सवाल उठना लाज़मी है कि क्या आने वाले समय में AI इंसानों का असली हमदर्द बन पाएगा?
अब ऐसे सवाल उठ रहे हैं कि क्या लोग चैटबॉट से अपनी समस्याएं कह सकते हैं, डिप्रेशन में हों, तो बात कर सकते हैं? क्या एआई इंसानों के लिए थेरपिस्ट का भी काम करने लगेगा? लोगों की भावनात्मक जरूरतें भी पूरी कर सकता है?

Will loneliness be removed through AI Therapist?
AI थेरेपिस्ट चैटबॉट्स जैसे Wysa, Replika, Taru, और अब GPT-बेस्ड चैटबॉट्स जैसे टूल्स का तेजी से उपयोग बढ़ रहा है। इन चैटबॉट्स से आप सवाल पूछ सकते हैं, अपने दिल की बात कह सकते हैं। अगर आप कुछ सवाल पूछते हैं, तो व्यवहारिक थेरेपी (CBT) के सिद्धांतों पर आधारित मार्गदर्शन भी देते हैं। कई युवा अब देर रात उदासी, एंग्जायटी, या ब्रेकअप जैसी स्थितियों में AI चैटबॉट्स से बात कर रहे हैं।
Will AI chatbots replace real therapy?
AI चैटबॉट्स में भावनाएं नहीं होतीं, अनुभव नहीं होते और वे मनोवैज्ञानिक इंटरवेंशन का पूरा विकल्प नहीं बन सकते। हालांकि, ये चैटबॉट्स आपके राज़दार डायरी की तरह हो सकते हैं जहां अपने दिल की बात कह सकते हैं। इससे शुरुआती स्तर पर तनाव से राहत मिल सकती है। भारत जैसे देश में, जहां प्रति 1 लाख लोगों पर औसतन केवल 0.75 थेरेपिस्ट हैं, वहां एआई चैटबॉट्स एक विकल्प जरूर बन रहे हैं।
Be cautious of the dangers associated with their use
AI Therapist के साथ कुछ खतरे भी हैं। जैसे कि डेटा प्राइवेसी, भावनात्मक निर्भरता (AI चैटबॉट से जुड़ाव), गलत सलाह का खतरा वगैरह। फिलहाल भारत में AI Therapist ऐप्स के लिए कोई स्पष्ट नियमावली या एथिक्स कोड नहीं है। डिजिटल हेल्थ मिशन के तहत यह एक उभरता हुआ क्षेत्र बन सकता है, जहां निगरानी जरूरी है।