AI: हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के युग में रहते हैं। एआई अब बोलता है, लिखता है, हल करता है और सुझाव भी देता है। यह हमें तेज़ी से पहुँचने, जल्दी सीखने और कहानियाँ व गीत भी रचने में मदद करता है। कुछ लोग एआई को जादू मानते हैं। कुछ लोग इसे जोखिम भरा मानते हैं। लेकिन हमारी सोच अलग है।
AI is made by humans – and children need to know this
बच्चों के द्वारा एआई का इस्तेमाल करना, सवाल पूछना और सबसे ज़रूरी है कि इसे संवेदनशीलता से प्रॉम्प्ट करना आना चाहिए। एआई को नज़रअंदाज करना कोई विकल्प नहीं है। आज के बदलते दौर में, एआई केवल सीखने का साधन नहीं, बल्कि वह ताकत है जो काम करने, जीने और सीखने का तरीका बदल रहा है। लोगों तक डिजिटल पहुँच का लगातार बढ़ना आने वाले वर्षों में सबसे बड़ी क्रांतिकारी प्रवृत्ति होगी।

विश्व आर्थिक मंच की ‘फ्यूचर ऑफ जॉब्स रिपोर्ट 2025’ के मुताबिक, 2030 तक 60% नियोक्ता मानते हैं कि डिजिटल एक्सेस उनके व्यवसाय को बदलकर रख देगी। एआई, सूचना प्रोसेसिंग, रोबोटिक्स और ऑटोमेशन जैसी तकनीकें भी तेज़ी से काम और कौशल की मांग बदलेंगी।
अब एआई को अनदेखा करना सही नहीं। यह भी सच है कि यह इंसानों की जगह नहीं लेगा, लेकिन यह हमारे कार्य करने के तरीके को ज़रूर बदल देगा। असली चुनौती है युवाओं को सही मानसिकता, अनुकूलनशीलता व मूल्यों से लैस करना, ताकि वे तकनीक को सकारात्मक दिशा दे सकें।
The world emerged from children’s imagination
वैश्विक रिपोर्ट्स जहाँ भविष्य की तस्वीर पेश करती हैं, वहीं बच्चे अपने सवालों व कहानियों के ज़रिए एआई की असली तस्वीर दिखाते हैं। यह कहानी है एक बच्चे की जिसने हमें सोचने पर मजबूर किया
जब बच्चों से पूछा गया कि वे कल्पना करें कि अगर दुनिया के सारे फैसले एआई लेने लगे तो क्या होगा?
A girl made a picture of the classroom
वहाँ एआई ने संगीत, चित्रकला, खेल सब बंद कर दिया था। केवल गणित बचा था। धीरे-धीरे बच्चे शांत हो गए, फिर दुखी। फिर एक दिन कोई खड़ा हुआ और एआई से बोला: “हर बच्चा अलग होता है। हर कोई अलग तरह से सीखता है। आप खुशी देने वाली चीज़ों को रोक नहीं सकते।”
यह कहानी केवल केवल कल्पना नहीं थी, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण सोच और आवाज़ थी। एक बच्चे ने मशीन और पूरी दुनिया को याद दिलाया कि इंसान होना क्या है।
New stories, new hopes
एक लड़की ने कहानी लिखी कि सोलर बोट बनाकर बच्चे बरसात में स्कूल जा सकें।
किसी दूसरे बच्चे ने कल्पना करी कि मछलियाँ और कछुए एक-दूसरे को ऑनलाइन सुरक्षा के लिए आगाह कर रहे हैं, ताकि डिजिटल सजगता और सावधानी एक साथ बढ़ें।
कुछ बच्चों ने दिखाया कि एआई गलतियाँ भी कर सकता है, लेकिन इंसान उसमें सुधार ला सकते हैं।
वास्तव में यही हमारा उद्देश्य था। ऐसे बच्चे जो संवेदनशीलता से सोचें, महसूस करें, निर्णय लें और रचनात्मकता से काम करें।