AI Sanskaar Bots: औद्योगिकीकरण और तकनीक हमारे जीवन के हर पहलू में शामिल है। इसके बाद भी यह स्वीकार किया जाता है कि पारिवारिक मूल्यों को घर के बड़े ही सिखा सकते हैं। आज भी बच्चों को कहानी सुनाने की परंपरा है। घर के बड़े-बुजुर्ग बच्चों को धार्मिक और सांस्कृतिक पहलुओं से परिचित कराते हैं।
अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तेजी से जीवन के हर पहलू में शामिल हो रहा है। इसके बाद से ऐसे सवाल उठ रहे हैं कि क्या बच्चों को अब कहानियां सुनाने वाली दादी की जगह रोबोट लेंगे?

भारत में अब AI तकनीक का प्रयोग न सिर्फ पढ़ाई में बल्कि संस्कार और नैतिक मूल्यों को सिखाने में भी किया जा रहा है। नए जमाने के “AI Sanskaar Bots” अब बच्चों को मर्यादा, शिष्टाचार, सहनशीलता और ईमानदारी जैसे मानवीय मूल्य सिखाने के लिए तैयार किए जा रहे हैं। हालांकि, यह प्रयोग अभी शुरुआती दौर में ही है।
What are AI Sanskaar Bots and how will it work?
दिल्ली, बेंगलुरु और पुणे जैसे शहरों में कुछ स्टार्टअप्स ने हिंदी समेत अन्य भाषाओं और भारतीय संस्कृति आधारित चैटबॉट्स पर काम शुरू किया है। ये चैटबॉट्स बच्चों से संवाद कर के उन्हें नैतिक निर्णय लेने की समझ विकसित करने के उद्देश्य से तैयार किए जा रहे हैं। उदाहरण के लिए, एक बॉट बच्चे से पूछता है – “अगर तुम्हारा दोस्त परीक्षा में चीटिंग करे तो तुम क्या करोगे?” और फिर उसका उत्तर लेकर उसे समझाने की कोशिश करता है कि सही निर्णय क्या हो सकता है।
AI में उपयोग होने वाली Natural Language Processing (NLP) तकनीक अब इतनी एडवांस हो चुकी है कि वह बच्चों की उम्र, भाषा शैली और भावनात्मक स्तर को समझकर प्रतिक्रिया दे सकती है। यही नहीं, कुछ AI संस्कार बॉट्स तो रामायण, पंचतंत्र और महाभारत की कहानियों के जरिए बच्चों को व्यावहारिक शिक्षा भी दे रहे हैं।
AI is not capable of replacing the family
AI Sanskaar Bots हालांकि, इस टेक्नोलॉजी को लेकर चिंता भी है। कुछ मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि संस्कार केवल सूचना नहीं होते, वे संबंधों से उपजते हैं। अगर मशीनें माता-पिता या शिक्षकों की जगह लेंगी, तो बच्चों का भावनात्मक विकास बाधित हो सकता है। तकनीकी विशेषज्ञों का मानना है कि AI संस्कार बॉट्स का उद्देश्य पूरक (complement) बनना है, विकल्प नहीं।