Shravan Maas 2025: हिंदू धर्म में श्रावण मास का विशेष महत्व है। यह महीना भगवान शिव की भक्ति और आराधना के लिए समर्पित होता है। श्रावण मास की शुरुआत के साथ ही भक्तों में एक नई आस्था और उत्साह का संचार हो जाता है। इस महीने में शिवलिंग की पूजा, जलाभिषेक, रुद्राभिषेक और विभिन्न व्रत-उपवास किए जाते हैं। वैदिक पंचांग के अनुसार इस वर्ष आषाढ़ पूर्णिमा 10 जुलाई को मनाई जाएगी। अगले दिन यानी 11 जुलाई से सावन का पवित्र महीना शुरू हो जाएगा। आषाढ़ पूर्णिमा तिथि 11 जुलाई को देर रात 2:06 बजे शुरू होगी और 12 जुलाई को 2:08 बजे समाप्त होगी। इसलिए सावन का शुभ महीना 11 जुलाई 2025 से शुरू होगा। सावन का पवित्र महीना महादेव के भक्तों के लिए बेहद खास माना जाता है। इस ब्लॉग में हम श्रावण मास के महत्व, पूजा विधि और व्रत कथा के बारे में विस्तार से जानेंगे।

श्रावण मास का महत्व
1. धार्मिक महत्व
चंद्र कैलेंडर के अनुसार, श्रावण मास हिंदू पंचांग का पांचवा महीना होता है, जो सामान्यतः जुलाई के मध्य से अंत में शुरू होता है और अगस्त के अंत में समाप्त होता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान निकले हलाहल विष को भगवान शिव ने इसी महीने में पिया था, जिससे उनका कंठ नीला पड़ गया और वे “नीलकंठ“ कहलाए। इस घटना के बाद से श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है।
2. प्राकृतिक महत्व
श्रावण मास वर्षा ऋतु का महीना होता है। इस समय प्रकृति हरी-भरी हो जाती है और वातावरण में चारों तरफ शीतलता और स्वच्छंदता होती है। इस समय नदियाँ, तालाब और कुएँ जल से भर जाते हैं, जिसे शुद्ध और पवित्र माना जाता है। यही पावन जल शिवलिंग के अभिषेक में प्रयोग किया जाता है।
3. सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व
श्रावण मास में कांवड़ यात्रा का आयोजन किया जाता है, जहां भक्त गंगाजल लेकर पैदल यात्रा करते हुए शिव मंदिरों में जल चढ़ाते हैं। इसके अलावा, इस महीने में सावन सोमवार, हरियाली तीज और नाग पंचमी जैसे प्रमुख त्योहार मनाए जाते हैं, जो सामाजिक एकता और धार्मिक उत्साह को बढ़ाते हैं।
श्रावण मास की पूजा विधि
श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा विशेष विधि-विधान से की जाती है। यहां हम श्रावण सोमवार व्रत और शिव पूजन की विधि बता रहे हैं:
1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें
श्रावण मास में प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना शुभ माना जाता है। स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. शिवलिंग की स्थापना और शुद्धिकरण
अगर घर में शिवलिंग है, तो उसे गंगाजल से शुद्ध करें। नए शिवलिंग की स्थापना करने के लिए मिट्टी या धातु के शिवलिंग का प्रयोग कर सकते हैं।
3. शिवलिंग का अभिषेक
शिवलिंग पर जल, दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल और बिल्व पत्र चढ़ाकर अभिषेक करें। इसके साथ ही रुद्राक्ष की माला से “ॐ नमः शिवाय“ मंत्र का जाप करें।
4. बिल्व पत्र और धतूरे का महत्व
भगवान शिव को बिल्व पत्र (बेलपत्र) अत्यंत प्रिय हैं। शिवलिंग पर तीन पत्तियों वाले बिल्व पत्र चढ़ाएं। इसके अलावा, धतूरे के फूल और फल भी भगवान शिव को अर्पित किए जाते हैं।
5. शिव आरती और मंत्र जाप
अभिषेक के बाद शिव आरती करें और “महामृत्युंजय मंत्र“ या “ॐ नमः शिवाय“ मंत्र का 108 बार जाप करें।
6. व्रत और भोग
सावन सोमवार के दिन व्रत रखने का विधान है। व्रत में फलाहार या सात्विक भोजन ग्रहण करें। भोग के रूप में शिव को भांग, धतूरा और मेवे अर्पित कर सकते हैं।
श्रावण मास की व्रत कथा
श्रावण मास में व्रत रखने और पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यहां हम सावन सोमवार व्रत की एक प्रसिद्ध कथा प्रस्तुत कर रहे हैं:
कथा: चंद्रशेखर और शिवभक्ति
प्राचीन काल में एक गरीब ब्राह्मण चंद्रशेखर अपनी पत्नी के साथ एक छोटे से गाँव में रहता था। वह बहुत निर्धन था, लेकिन भगवान शिव का परम भक्त था। एक बार श्रावण मास आया, तो उसने निश्चय किया कि वह पूरे महीने भगवान शिव की पूजा करेगा और सोमवार का व्रत रखेगा।
उसने प्रतिदिन जंगल से बिल्व पत्र लाकर शिवलिंग पर चढ़ाए और जल से अभिषेक किया। एक दिन जब वह बिल्व पत्र लेने जंगल गया, तो उसे एक सोने का सिक्का मिला। उसने सोचा कि यह भगवान शिव की कृपा है और उसने सिक्के से शिव मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया।
धीरे-धीरे उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे दर्शन दिए और वरदान मांगने को कहा। चंद्रशेखर ने शिवजी से प्रार्थना की, “प्रभु, मुझे केवल आपकी भक्ति चाहिए।” शिवजी ने प्रसन्न होकर उसे धन-धान्य से परिपूर्ण कर दिया और अंत में मोक्ष का वरदान दिया।
इस कथा से यह शिक्षा मिलती है कि श्रावण मास में शिव की सच्ची भक्ति और व्रत करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और भक्त को शिव की कृपा प्राप्त होती है।
श्रावण मास के प्रमुख त्योहार
1. सावन सोमवार: इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है।
2. हरियाली तीज: यह त्योहार सुहागन महिलाओं द्वारा मनाया जाता है, जिसमें वे भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करके अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं।
3. नाग पंचमी: इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती है और उन्हें दूध चढ़ाया जाता है।
4. रक्षा बंधन: श्रावण मास की पूर्णिमा को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है, जो भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है।
निष्कर्ष
श्रावण मास भक्ति, तपस्या और आस्था का महीना है। इस पवित्र महीने में भगवान शिव की आराधना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। श्रावण सोमवार का व्रत, रुद्राभिषेक और शिव कथा के पाठ से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। आइए, इस श्रावण मास में हम सभी भगवान शिव की भक्ति में लीन होकर अपने जीवन को धन्य बनाएं।
“ॐ नमः शिवाय“
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
Q1. श्रावण सोमवार व्रत कितने सोमवार रखना चाहिए?
Ans: श्रद्धा अनुसार आप पूरे मास के सोमवार रख सकते हैं। अधिकतर लोग 4 या 5 सोमवार का व्रत रखते हैं।
Q2. क्या स्त्रियाँ भी श्रावण व्रत रख सकती हैं?
Ans: हाँ, स्त्रियाँ भी श्रावण व्रत रख सकती हैं और उन्हें विशेष लाभ मिलता है।
Q3. क्या व्रत के दौरान दूध और फल का सेवन किया जा सकता है?
Ans: हाँ, फलाहार व्रत में दूध, फल, सूखे मेवे आदि का सेवन किया जा सकता है।